सिकलिंग सिकलसेल रोग रक्त अल्पता


सिकलिंग या सिकलसेल रोग रक्त अल्पता



राम राम दोस्तों आपका संतोष कुमार आपका अभिनंदन करता है आज मैं आपको बताने जा रहा हूं किसी कल सेल रोग सिकलसेल रक्ताल्पता या खून की कमी बीमारी क्या होती है अरे कैसे होती है और इसकी क्या प्रक्रिया है इसके लक्षण क्या है और इसके निदान क्या है और इसके विकास के शरीर की क्रिया में और देख रेख कैसे करते हैं तो आप को इस ब्लॉक में सिकलसेल या फिर शिवलिंग की बीमारी की पूरा जानकारी पढ़ने को मिलेग
अगर आप सीख लिंग के बारे में पूरा जानकारी जानना चाहते हैं तो मेरी इस ब्लॉक को अंत तक पर है क्योंकि इसमें दिए हुए जानकारी आपके आसपास या आपके परिवार के किसी भी सदस्य को बचा सकती है और सुरक्षा कर सकती ह

सिकलसेल रोग

सिकल सेल रोग या सिकल सेल रक्ताल्पता या रिपेयर साइकोसिस एक अनुवांशिक रक्त विकार है जो ऐसी लाल रक्त कोशिकाओं के द्वारा चरितार्थ होता है जिन का आकार असामान्य कठोर तथा हंसिया के समान होता है यह क्रिया कोशिकाओं के लचीलेपन को घटाती है जिससे विभिन्न जटिलताओं का जोखिम उभरता है यह हंसिया निर्माण हिमोग्लोबिन जिनमें उत्परिवर्तन की वजह से होता है जीवन प्रत्याशा में कमी आ जाती है

 एक सर्वेक्षण के अनुसार हंसा निर्माण हिमोग्लोबिन जीन में परिवर्तन की वजह से होता है जीवन सोचा सा में कमी आ जाती है एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं की अवसर जीवन प्रत्याशा 48 और पुरुषों की व्याधि सो जाती है
छत्तीसगढ़ एवं उसके आसपास के राज्यों में शिवलिंग जाना पहचाना रोग है 

यहां के लोग जैसे साहू यादव सतनामी कुमार आदि जातियों में यह पाई जाती है अभी तक यह लाइलाज है किंतु संभव है कि आने वाले समय में जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा इसके लिए उत्तरदाई जीन को ठीक किया जा सके लेकिन तब तक इस गंभीर रोग को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय तो किए ही जा सकते हैं इसलिए उचित यह है कि इस ग्रुप के बारे में सभी को जागरुक किया जाए

सिकलिंग का पूरा परिचय

यह खून में पाए जाने वाले लाल रक्त कणों में उपस्थित हीमोग्लोबिन की संरचना में असामान्यता के कारण होने वाला रोग है खून के हिमोग्लोबिन के निर्माण में महायान और प्रोफाइल चेंज एवं कई अमीनो एसिड भाग लेते हैं सामान्य व्यक्ति के हिमोग्लोबिन में बीटा चयन के अमीनो एसिड के छटवे नंबर पर ग्लूटामिन के सीट जुड़ा रहता है किंतु जीन म्यूटेशन या जेनेटिक मटेरियल के रिलेशन में ग्लूटामिन ऐसी की स्थान पर वेल्डिंग के कंसल लग्न हो जाते हैं 

बीटाचे अंक 146 अमीनो एसिड में से मात्र एक के अंतर से ही एक गंभीर एवं लाइलाज बीमारी हो जाती है इसलिए इस संरचना विकृति के कारण ही हिमोग्लोबिन के कारण मैं ऑक्सीजन की कमी होने पर पालीमर बनाते हैं और क्रिस्टल के रूप में बदलकर रक्त कण की मेंब्रेन की भीतरी सतह पर एकत्रित हो जाते हैं जिसके कारण रक्त कण का आकार विकृत होकर हंसिया की तरह हो जाता है 

ऐसा तो सामान्य रंग से बदल कर हंस साकार हो जाता है इस आकृति के कारण ही इस रोग का नाम शिवलिंग रखा गया है किंतु जिन लोगों के रक्त में सिकलसेल की संख्या 50% तक होती है उन लोगों में रोग के लक्षण पर आया उत्पन्न नहीं होते पर बहुत कम होते हैं वह भी एक विशेष स्थिति में


स्क्रीन से पीड़ित लोग कुछ समस्या तब होती है जब हंसिया के आकार वाली रक्त कणिकाएं अपनी आकृति के कारण छोटी-छोटी रक्त कोशिकाओं में फस कर रह जाते हैं और आगे अपने गंतव्य तक पहुंच नहीं पाती इससे रक्त की कोशिकाओं में और रोड होकर शरीर के उस अंग में रक्त का प्रवाह रुक जाता है इस स्थिति को इसकी मियां कहते हैं जिसके परिणाम स्वरुप इन्फेक्शन जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है सिकल सेल एनीमिया के रोगियों में विभिन्न प्रकार के लक्षण कौन होते हैं 


इन को चार भागों में बाटा गया ै पहले भाग म
यह अपने आप पर किसी संक्रमण के पश्चात हो सकते हैं रक्त प्रवाह में रूकावट के कारण प्रभावित अंग में दर्द की शिकायत बनी रहती है ऐसे शिशुओं में प्रारंभिक लक्षण के रूप में हैंड फुट सिंड्रोम मिल सकती है जिसमें हाथ पैर में सूजन के साथ दर्द होता है किसी किसी को पेट में तीव्र दर्द होता है इसकी मियां यदि मस्तिष्क में हो तो इसको कहते हैं जिससे तुरंत मृत्यु हो जाती है आधे शरीर पर लकवा हो सकता है फिर प्ले की इसकीम ना होने 

सिकलिंग के प्रकार

1. सिकल सेल ट्रेट या छोटी सीलिंग


क्या उन्हें होती है जिसके रक्त में माता-पिता से प्राप्त जींस में से एक सामान्य और दूसरा असामान्य होता है यह गंभीर तो नहीं होता पर कुछ परिस्थितियों में गंभीर होकर रोगों को संकट में डाल सकते हैं यह लोग किसी भी जीवाणु के प्रति अधिक सुग्राही होते हैं जिसके कारण बच्चों में फेफड़ों के रोग आदि होने की संभावना बनी रहती ह

2. बड़ी सिकलिंग या सिकल सेल डिसी डिजीज

मरीज में गंभीर स्थिति इसी के कारण उत्पन्न होते हैं यदि पीड़ित व्यक्ति ने जीवन में संयम ना करता हो तो कम समय में ही उनकी मृत्यु हो जाती ह

शिवलिंग अनुवांशिक होती ह

भारत में कुछ जाति विशेष के लोगों में वंश परंपरा से यह रोग अगली पीढ़ी हमें आगे बढ़ता है अतः छोटे बच्चों में भी मिल सकता है फिर भी बच्चों में छः माह के बाद ही लक्षण प्रकट होते है

सिकलिंग की भयावहता

क्या सावधानिया न रखने पर तथा कम जानकार लोगों से इलाज कराने से सीख लिंग अधिक बढ़ जाने से शरीर के आधे शरीर में लकवा हो सकता है यह जोड़ों की सूजन अधिक समय तक बने रहने से हस्तियों के जोड़ों में विकृति होकर लंगड़ा पर हो सकता है यह कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है

सावधानियां

सिकलिंग के रोगियों को कोई अन्य रोग होने पर भी उस रोग से संबंधित दवाई लेते समय सावधानी की आवश्यक आवश्यकता होती है कुछ दवाएं जो इंहें हानि पहुंचा सकती है वह है बुखार की दवाए मलेरिया की दवाएं एस्प्रि आयरन की टानिक एवं विटामिन के इसलिए अपने मन से कभी भी कोई दवाई ना लें

सिकलिंग यार थैलेसीमिया एक साथ मिल सकता है वशीकरण के साथ मलेरिया प्रायः नहीं मिलता इसलिए बुखार आने पर जांच कराएं और बिना जांच के मलेरिया की दवाई कभी ना ले


अब सबसे महत्वपूर्ण चीज अगर शिवलिंग हो गया तो क्या कर सकते हैं यार उसके लिए कब बचने के लिए क्या करना है उसको देखो

1. पहला ऑप्शन अगर आप चाहो तो बाजार में अनार का जूस पी सकते हो जो 40 रुपया पड़ेगा ऐसे जूस पीने वाले 15 मिनट के अंतर्गत खून बनना चालू हो जाता है 15 मिनट के अंदर का खून बनना चालू हो जाता है

2. दूसरा चाहो तो बाजार सिव सकर चुकंदर ले सकते हैं और दिल्ली सलाद के रूप में खा सकते हैं उसे भी खून बनना चालू हो जाता है

3. तीसरा सबसे अचूक इलाज अगर 6 महीने तक पालक की सब्जी खाओगे लगातार दो जड़ से खत्म हो जाएगा सिकलिंग महत्वपूर्ण है आप माल्ट खरीद लो जो कम से कम ₹80 पढ़ेगा और दूसरा विटामिन बी वाला सिरप ले लो दोनों को एक एक चम्मच दिन में दो बार खाओ शिकलिंग जड़ से खत्म हो जाएगा और सस्ता भी है ₹90 मंडप अंतर्गत ठीक हो सकते हो आपके चेहरे में चमक सकती है।

धन्यवाद

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